Ectopic Pregnancy

सुनीता तथा उसके घरवाले बहोत खुश थे क्योकि पुरे १० साल बात सुनीता ने उन्हें खुशखबरी सुनाई थी ! पर इधर बात बताई और उधर उसे पेट में बुरी तरह दर्द होने लगा, तुरत फॅमिली डॉक्टर के पास ले कर गये , तो उन्होंने कुछ tests लिखकर दिया और अल्ट्रासाउंड किया और बताया सुनीता को एक्टोपिक प्रेगनेंसी है , सुनकर परिवारवाले हैरान परेशान!

माँ बनना ये एक बड़ा ही सुखद अहसास है पर किसी कारन से इस प्रक्रिया बाधा आती है , तो मन दुखी हो जाता है ! इस तरह कि एक प्रेगनेंसी होती है , जो असामान्य जगह पर develope है ! जैसेकि बच्चादानी को नली में or ओवरी ( अंडाशय पर ) इसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहते है !

1.क्या है एक्टोपिक प्रेगनेंसी?

माना जाता है कि फर्टिलाइज्ड एग (अण्डाणु) के लिये खुद को जोड़ने की सबसे बेहतर जगह गर्भाशय के अंदर होती है और अगर यह गर्भाशय के बाहर कहीं भी जुड़ता है, तो गर्भावस्था के इस रूप को एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहते हैं। इस तरह की ज़्यादातर स्थितियों में फर्टिलाइज्ड एग (अण्डाणु) खुद को फैलोपियन ट्यूब से जोड़ता है इसलिये प्रेगनेंसी की इस अवस्था को ट्यूबल प्रेगनेंसी के नाम से भी जाना जाता है।

फैलोपियन ट्यूब्स को इस तरीके से डिजाइन नहीं किया गया है कि वो गर्भाशय की तरह विकसित हो रहे भ्रूण को सपोर्ट कर सके इसलिए प्रेगनेंसी की इस स्थिति में तत्काल ध्यान देने और इलाज की ज़रूरत होती है।

2. एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्यों होता है? इसके पीछे क्या वजहें हो सकती हैं?

फैलोपियन ट्यूब में सूजन या संक्रमण, जिससे ब्लॉकेज की संभावना होती है।

• अगर फैलोपियन ट्यूबों पर कोई सर्जिकल प्रक्रिया की गई है, तो यह अण्डाणु के मूवमेंट में बाधा डाल सकती है।

• फैलोपियन ट्यूब में पहले कभी इंफेक्शन होने की स्थिति में भी अण्डाणु के मूवमेंट में दिक्कत आ सकती है।

• पेल्विक क्षेत्र या फैलोपियन ट्यूब के आसपास हुई सर्जरी भी इसकी एक वजह बन सकती है।

• अतीत में एक्टोपिक प्रेगनेंसी से जुझ चुकी महिलाओं में दोबारा इस तरह की प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ जाती है।

• 35 साल या उससे ज़्यादा की उम्र में प्रेगनेंट होने पर एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा रहता है।

• जिन महिलाओं की पहले कभी पेल्विक या अब्डॉमिनल सर्जरी हुई है, उनमें भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ जाती है।

• पेल्विक में सूजन संबंधी बीमारियों से जुझ रही महिलाएं।

• कई बार गर्भपात होना भी इसकी वजह बन सकती है।

• धूम्रपान करने वाली महिलाएं।

• ट्यूब्ल से जुड़ने के बाद गर्भ गिरना। • आईयूडी (IUD) के प्लेस होने के बाद गर्भ का गिरना।

एक्टोपिक गर्भावस्था के लक्षण -

अगर प्रेगनेंसी के दौरान आपको भी ये लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

• अचानक तेज़ दर्द होना और फिर दर्द खत्म हो जाना, हर बार दर्द की तीव्रता में अंतर हो सकता है। ज़्यादातर ये दर्द पेल्विक और पेट के आस-पास होता है। हालांकि, कभी-कभी दर्द कंधे और गर्दन के आसपास भी महसूस होता है। यह तब होता है जब रप्चर एक्टोपिक प्रेगनेंसी होती है और इसका रक्त डायाफ्रम के नीचे जमा होता है।

• योनि से रक्तस्राव, जो आपकी सामान्य पीरियड्स के मुकाबले ज़्यादा या कम हो सकता है।

• अचानक गैस संबंधी परेशानी का होना।

• हर समय थकान और कमज़ोरी महसूस होना, बहुत ज़्यादा चक्कर आना। जब तेज़ रक्तस्राव के साथ पेल्विक क्षेत्र के चारों ओर दर्द महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की ज़रूरत है।

DIAGNOSIS-

a) P/V- यह दर्द के जगह की पहचान करने के लिए एक सामान्य पेल्विक टेस्ट से शुरू होता है। इसके अलावा, पेट संबंधी दूसरे टेस्ट भी किये जाते हैं।

b) USG-यह जांचने के लिए कि गर्भाशय में विकासशील भ्रूण है या नहीं, स्कैन किया

जाता है।

c) एचसीजी (HCG) और प्रोजेस्टेरोन के लेवल को मापा जाता है और अपेक्षित से कम होने पर एक्टोपिक प्रेगनेंसी की संभावना हो सकती है।

d) कलडोसेंटिस नामक एक प्रक्रिया भी की जाती है, इस प्रक्रिया में योनि (वजाइना) के शीर्ष पर एक सुई डाली जाती है, जो गर्भाशय के पीछे और रेक्टम के आगे की जगह है। यदि इस जगह में रक्त पाया जाता है, तो यह एक टूटने वाली फैलोपियन ट्यूब को इंगित कर सकता है।

Treatment-

1) MEDICAL MANAGEMENT OF ECTOPIC PREGNANCY - अगर प्रेगनेंसी को बहुत समय नहीं हुआ है, तो ज़्यादातर मामलों में मेथोट्रैक्सेट दिया जाता है जो बॉडी को प्रेगनेंसी टिशू को अवशोषित करने की अनुमति देकर फैलोपियन ट्यूब को बचाता है।

2) यदि फैलोपियन ट्यूब ज़्यादा फैली हुई है या रक्तस्राव के कारण टूट गई है, तो ऐसे मामलों में, इसे पूरी तरह से या आंशिक रूप से हटाने की ज़रूरत हो सकती है। ऐसे में इमरजेंसी सर्जरी की ज़रूरत होती है।लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है, जिसमें सर्जन एक्टोपिक प्रेगनेंसी को बाहर निकालने के लिये लैप्रोस्कोप का उपयोग कर सकता है। यह जनरल एनेस्थीसिया के तहत किया जाता है। इस प्रक्रिया में प्रभावित फैलोपियन ट्यूब का इलाज या उसे निकालना भी शामिल है।

3) अगर किसी केस में लैप्रोस्कोपी सफल नहीं होता है, तो लैप्रोटोमी किया जाता है।